लेखनी प्रतियोगिता -26-Jun-2024" ग़ज़ल "

ग़ज़ल

लिखे होंगे आज भी चंद अल्फ़ाज़ मेरे लिए।

आज भी मिरी याद में वो डूब कर रोया होगा।।


बनाई होगी चाय कपकपाते हाथों से जब। 

चीनी को डालते वक़्त वो थोड़ा तो छटपटाया होगा।।


मेरी तस्वीर पे जो गई होगी नज़र उसकी।

मेरी निग़ाहों ने पल भर के लिए उसे उलझाया होगा।।


राह चलते जो कभी आवाज़ सुनी किसी की।

ठिठक कर दो घड़ी तो मिरे ख़यालों में खोया होगा।।


जो देखा होगा चमकते चांद को आसमान पे। 

अपनी तकदीर पे वो लाज़िम ही रोया होगा।।


पलटते पन्नों के बीच देख कर सूखा फूल। 

तमाम रात काँटों की चुभन ने ख़ामोश उसे तड़पाया होगा।।

मधु गुप्ता "अपराजिता"

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2 Comments

Babita patel

01-Jul-2024 11:07 AM

Awesome

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Varsha_Upadhyay

30-Jun-2024 11:45 PM

Nice

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